टिहरी बांध की भागीरथी झील में पर्यटकों को अंडा आमलेट परोसने पर हंगामा शुरू हो गया है साधु संतों ने इसको आपत्ति जताते हुए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, संतों ने कहा कि ये मां गंगा का अपमान है और हिंदू आस्था सेखिलवाड़ है इस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।
गोमुख ग्लेशियर से निकलने वाली भागीरथी नदी भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है, क्योंकि इसे गंगा का जन्मस्थान भी माना जाता है। समुद्र तल से लगभग 475 मीटर की ऊंचाई पर बहती भागीरथी नदी के वेग की गति का उपयोग टिहरी बांध के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है।वही बांध की कई किलोमीटर लंबी झील पर राज्य सरकार की ओर से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वाटर हट्स बनाए गए हैं,आरोप है इनमे जिनमें अंडा और अन्य प्रतिबंधित खाद्य पदार्थ पर्यटकों को परोसे जा रहे हैं।
साधु संतों ने पवित्र गोमुख से जो जल टिहरी झील में आता है, उसमें पर्यटकों को अंडा आमलेट, मांस आदि परोसा जा रहा है, जो निंदनीय विषय है। उन्होंने इस मामले पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल रोक लगवाने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री पुस्कर सिंह धामी को निर्देशित करने की मांग की है।
संतो का कहना है देवभूमि उत्तराखंड में इस तरह का कृत्य मां गंगा की गोद में हो रहा है, जो सनातन संस्कृति के लिए गलत है। सरकार टिहरी झील में होटल संचालन पर तत्काल कार्रवाई करने के साथ साथ जिम्मेदार व्यक्तियों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा लोग देवभूमि उत्तराखंड में आकर यहां की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और मां गंगा को दूषित करने का कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोगों को मां गंगा तत्काल नष्ट कर दे।साधु संतों ने भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री पुस्कर सिंह धामी से मांग की है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।