रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। इस बार नगर निकाय चुनाव का माहौल अलग नजर आ रहा है। यह चुनाव पुराने राजनीतिक धुरंधरों और पहली बार मैदान में उतरने वाले नए चेहरों के बीच दिलचस्प मुकाबला बन चुका है। सवाल यह है कि जनता जनार्दन का फैसला किस दिशा में जाएगा? पुरानी राजनीति बनाम नई राजनीति रामनगर में लंबे समय से राजनीति में अपनी पहचान बनाने वाले चेहरों का दबदबा रहा है। ये नेता क्षेत्रीय राजनीति के अनुभव और जनसंपर्क के बल पर अपनी साख मजबूत रखते आए हैं। दूसरी ओर, नई राजनीति के चेहरे इस बार बदलाव और विकास की नई उम्मीदें लेकर मैदान में उतरे हैं। लंबे अनुभव, पुराने वोट बैंक, और जमीनी पकड़ के सहारे पुराने नेता इस बार भी जनता का भरोसा जीतने की कोशिश में हैं। लेकिन जनता में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या पुराने नेता वाकई विकास में सफल रहे हैं? युवा और नए उम्मीदवार जनता के सामने नई सोच और योजनाओं के वादे लेकर आ रहे हैं। इनका दावा है कि वे जनता की समस्याओं को समझते हैं और पारदर्शिता के साथ काम करेंगे। जनता का मूड इस बार बदला हुआ नजर आ रहा है। लोग विकास, पारदर्शिता, और जनता के बीच सक्रियता को लेकर ज्यादा जागरूक हो चुके हैं। जनता की प्राथमिकता इस बार जाति, धर्म या पुराने नामों से हटकर काम और उपलब्धियों पर आधारित दिखाई देती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पुरानी राजनीति का अनुभव नए चेहरों पर भारी पड़ेगा, या फिर इस बार रामनगर निकाय चुनाव में इतिहास लिखा जाएगा। जनता का वोट तय करेगा कि बदलाव की नई लहर उठेगी या फिर पुराने धुरंधरों का दबदबा कायम रहेगा। इस चुनाव में जनता के फैसले का असर न केवल रामनगर की राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि यह भविष्य की राजनीति के लिए भी एक संदेश होगा। जनता जनार्दन का वोट इस बार पुराने और नए राजनीति के बीच का संतुलन तय करेगा।