रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। (पाटकोट)”जिस देश की नारी को शराब के ठेके के खिलाफ सड़क पर उतरना पड़े, वहां हालात खुद ब खुद बयान कर देते हैं!” कुछ ऐसी ही तस्वीर इन दिनों पाटकोट क्षेत्र में देखने को मिल रही है, जहां महिलाएं शराब की दुकान को हटाने की मांग पर लगातार 22वें दिन भी धरने पर डटी हैं। मंगलवार को धरनास्थल पर पहुंचे उपजिलाधिकारी (एसडीएम) रामनगर और तहसीलदार ने महिलाओं की शिकायतें सुनीं और आश्वासन दिया कि मामले को गंभीरता से लिया जाएगा तथा जल्द ही ठेके को लेकर आदेश जारी कराए जाएंगे। हालांकि, महिलाएं प्रशासन के आश्वासन से संतुष्ट नहीं दिखीं और मौके पर ही जोरदार विरोध जताया। ग्राम पाटकोट की महिला नीतू त्रिपाठी ने कहा,“आज हमें धरना करते हुए 22 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक हमारी बातों को गंभीरता से नहीं लिया गया। आज पहली बार एसडीएम साहब आए हैं, उन्होंने कहा कि जल्द इस पर आदेश जारी कराए जाएंगे।” पूनम रावत ने भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “अगर हमारी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो हम महिलाएं आमरण अनशन करने के लिए बाध्य होंगी।” धरनास्थल पर “शराब बंदी – देश बचाओ”, “माँ-बहनों की ये पुकार – बंद करो शराब का व्यापार” जैसे नारों की गूंज प्रशासन और समाज दोनों को झकझोर रही है। महिलाओं का कहना है कि ठेका गांव के सामाजिक ढांचे को तोड़ रहा है, और इसे हटाए बिना वे पीछे नहीं हटेंगी। धरने में बड़ी संख्या में महिलाएं और ग्रामीण शामिल हुए, जिनमें गंगा देवी, भावना देवी, हेमा देवी, कमला देवी, पूनम रावत, बबीता बिष्ट, गुड्डी देवी, लीला देवी, अंजलि बॉस, मोहनी देवी, कविता, दीपा देवी, चंपा देवी, केशव बधानी, गौरव जोशी, नरेंद्र बिष्ट, मनमोहन पाठक, कांति भंडारी, जीवन मेहरा, लक्ष्मण सिंह लुधियाना समेत सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे। अब देखना होगा कि 22 दिनों से सड़क पर बैठे इन लोगों के सब्र का इम्तिहान कब खत्म होता है और प्रशासनिक स्तर पर इस जनभावना का कितना असर पड़ता है।