रफ़ी खान/उत्तराखंड
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने नए बयान को लेकर फिर से चर्चाओं में बने हुए हैं इस बार उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर धामी सरकार के अतिक्रमण पर चलाए जा रहे अभियान को निशाने पर लेते हुए कहा कि हम कुछ भी कहे तो हो जाते हैं बदनाम वह जुल्म भी करें तो कहते हैं कि चर्चा ना करो..
हरीश रावत ने आगे लिखा है कि रामनगर में आजकल सरकार गुस्सा निकाल रही है, अब थापली की मजार पर गुस्सा निकालने के बाद लोगों के घरों तक भी सरकार का गुस्सा पहुंच रहा है। मुझे आश्चर्य हुआ जब ऐसी मजारें भी तोड़ी गई जिन मजारों पर आज से 57-58 साल पहले हम रामनगर एमपी इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र इम्तिहान के दिनों में पास होने की दुआ मांगने जाते थे जो वर्षों से हिंदू-मुस्लिम आस्था के स्थल बने हुए थे। रामनगर के लोग गर्जिया, गुलरसिद्ध, सीताबनी के साथ इस मजार पर भी माथा टेकने जाते थे, हमारी रामनगर की मिली-जुली संस्कृति की सौगातें, एक सरकार के गुस्से ने छीन ली और अब लोगों का चैन भी छीन रहे हैं। मैं रामनगर के उन लोगों को बधाई देने चाहता हूं जो जनता के संघर्ष को उठा रहे हैं। यदि हम जायेंगे तो आधा तराई, आधा भाबर कहीं न कहीं पर सरकारी भूमि पर या वनभूमि पर अतिक्रमित होगा, कोई सिंचाई की भूमि पर होगा तो कोई वनभूमि पर होगा। इस क्षेत्र के भूमि के इतिहास को जाने बिना डंडा चल रहा है।