रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। नगर निकाय चुनाव का माहौल गरमा चुका है। बड़े-बड़े वादे, रोने-धोने की राजनीति और मिठाई बांटने जैसे प्रयासों के बीच असली फैसला अब जनता के हाथ में है। जनता से अपील की जा रही है कि वे अपने वोट के महत्व को समझें और सोच-समझकर अपना नेता चुनें, क्योंकि यह उनका अधिकार है, जो उनके और उनके क्षेत्र के भविष्य को तय करेगा। जनता का अधिकार और जिम्मेदारी
चुनाव केवल एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र का उत्सव है। संविधान ने हर नागरिक को वोट देने का अधिकार दिया है। यह अधिकार हमें यह शक्ति देता है कि हम अपने लिए एक ऐसा प्रतिनिधि चुनें, जो हमारी समस्याओं को समझे और उनका समाधान करे। जनता का वोट ही तय करता है कि किसे सत्ता मिलेगी। लेकिन कई बार जनता वादों और दिखावे के चक्कर में फंस जाती है। नेता चुनाव के दौरान हर दरवाजे पर दस्तक देते हैं, लेकिन जीतने के बाद वही नेता अक्सर गायब हो जाते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि जनता अपने वोट का उपयोग सोच-समझकर करे। विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव में हिस्सा लेना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। किसी के बहकावे में आकर, छोटे-मोटे प्रलोभन लेकर, या भावनात्मक अपीलों में फंसकर वोट न करें। जनता को यह देखना चाहिए कि कौन-सा प्रत्याशी उनके क्षेत्र में असली बदलाव लाने की क्षमता रखता है। जनता को वादों के पीछे की सच्चाई समझनी होगी। किसी भी प्रत्याशी के वादों का मूल्यांकन करें और यह सोचें कि क्या वह वास्तव में आपके क्षेत्र की समस्याओं का समाधान कर सकता है। 23 तारीख को होने वाला यह चुनाव केवल चेयरमैन सभासद या पार्षद , मेयर को चुनने का नहीं है, बल्कि यह आपके अधिकारों और भविष्य का फैसला करेगा। लोकतंत्र की मजबूती तभी संभव है जब जनता अपने अधिकारों का उपयोग सही तरीके से करे। सोचिए, समझिए, और सही को चुनिए।
आपका वोट, आपकी ताकत। इसे बेकार न जाने दें।