रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। पाटकोट गांव की महिलाओं ने शराब की दुकान खोलने के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। आज इस विरोध प्रदर्शन का 19वां दिन था और जोश पहले से कहीं ज्यादा दिखाई दिया। गांव की सैकड़ों महिलाओं ने आज एक विशाल रैली निकालकर शासन-प्रशासन को साफ संदेश दे दिया “जब तक लिखित आदेश नहीं, तब तक धरना खत्म नहीं!” इस आंदोलन को अब स्थानीय संगठनों का भी खुला समर्थन मिल गया है। महिला एकता मंच, किसान संघर्ष समिति, संयुक्त संघर्ष समिति और समाजवादी लोक मंच ने आज रैली में शामिल होकर महिलाओं के हौसले को नई ताकत दी। इन संगठनों ने एक सुर में कहा कि गांव की सामाजिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाली शराब की दुकान को यहां नहीं चलने दिया जाएगा।रैली के दौरान महिलाओं ने कहा कि यह सिर्फ दुकान का विरोध नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की लड़ाई है। उनका कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को अनसुना किया, तो जल्द ही महिलाएं आमरण अनशन पर बैठ जाएंगी। धरने में आज पूनम, अंजली, ऋतु, तुलसी, गंगा, शांति, गीता, दया, कविता, दीपा, चम्पा, गुड्डी, माधवी, प्रभावती, पुष्पा, विमला, महेश जोशी, मनीष फुलारा, तुलसी जोशी, डॉली, लीला, कमला, मोहिनी, बबीता जैसी महिलाओं समेत सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए। अब देखना यह है कि शासन इस जनआक्रोश को कितनी गंभीरता से लेता है, क्योंकि पाटकोट की गलियों में अब एक ही आवाज़ गूंज रही है – “शराब नहीं, सम्मान चाहिए!”