20 April 2023: देश के कुछ राज्यों में गर्मी प्रकोप दिखा रही है। शहरों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गया है। इसी के साथ ही बिजली की मांग 216 गीगावॉट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। बढ़ती गर्मी को देखते हुए केंद्र और राज्य दोनों ही भीषण गर्मी के विभिन्न प्रभावों से निपटने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। इसमें बिजली की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने से लेकर फसल और कृषि उपजों की आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित करने, नागरिक जरूरतों को पूरा करने और मौसम के अनुकूल बुनियादी ढांचे का निर्माण करने जैसी चीजें शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार, बिजली की अधिकतम मांग मंगलवार को 215 गीगावॉट के एतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। बिजली की खपत के मोर्चे पर भारत को उसी दिन 483.6 करोड़ यूनिट की उच्च स्तर की ऊर्जा मांग पूरी करनी पड़ी, जो पिछले साल की तुलना में आठ फीसदी अधिक है। अप्रैल के पहले सप्ताह में ऊर्जा की मांग में 23 फीसदी की वृद्धि देखी गई है, जो एसी और कूलर जैसे उपकरणों के इस्तेमाल में आ रही तेजी के संकेत हैं। देश के पूर्वी क्षेत्र के पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दक्षिणी राज्यों में रिकॉर्ड स्तर पर बिजली की मांग देखी जा रही है। जबकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे बड़े राज्यों की तरफ से ही बिजली की मांग नहीं बढ़ रही है।
अगले कुछ दिनों में मांग में आएगी कमी:
जानकारों का कहना है कि अप्रैल महीना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि फिलहाल ताप ऊर्जा के अलावा कोई अन्य ऊर्जा स्रोत नहीं है। इनका मुख्य स्रोत कोयला है। केंद्र सरकार अप्रैल की मांग को लेकर आशंकित थी, लेकिन इसका प्रबंधन अच्छी तरह से किया जा रहा है। मंगलवार को भी ग्रिड ने बिना किसी अड़चन के अब तक की सबसे अधिक बिजली की मांग का प्रबंधन कर लिया। तंत्र में पर्याप्त बिजली और कोयला है। अब गैस भी चल रही है। देश के उत्तरी क्षेत्र कुछ दिनों में ठंडे दिन होंगे, तब मांग में कुछ कमी आ सकती है। मई और जून में, जल विद्युत और पवन ऊर्जा की भी आपूर्ति शुरू हो जाएगी। इससे ग्रिड इंडिया को उम्मीद है कि ताप ऊर्जा का भार कुछ कम हो जाएगा। बिजली की आपूर्ति में अधिकता का स्तर बना रहेगा। आने वाले दो महीनों में बिजली की मांग 230 गीगावॉट तक पहुंचने की उम्मीद है।
गर्मी से फसलों पर भी असर:
देश में पड़ रही अत्यधिक गर्मी का असर कृषि और फूड प्रोसेसिंग सेक्टर पर भी नजर आएगा। जानकारों का कहना है कि तापमान बढ़ने के कारण फसलें बर्बाद हो रही हैं। ऐसे में कच्चे माल और फसलों की कमी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप कीमतें बढ़ेंगी और सप्लाई चेन बाधित हो सकती है। ज्यादा तापमान फलों, सब्जियों और डेयरी उत्पादों जैसे उत्पादों की गुणवत्ता भी घट सकती है और वे जल्द खराब हो सकते हैं।