रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। में विकास के मुद्दों पर चर्चा तो दूर, कांग्रेस इस समय अपने आंतरिक गुटबाजी और शक्ति प्रदर्शन में उलझी हुई है। हर ओर यह सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस का यह आंतरिक संघर्ष पार्टी को पूरी तरह खत्म कर देगा? हरीश रावत और रंजीत रावत के गुटों के बीच चल रही यह खींचतान अब कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन चुकी है। रामनगर के लोगों की जरूरतों और समस्याओं को दरकिनार कर ये नेता अपनी-अपनी ताकत दिखाने में व्यस्त हैं। यह शक्ति प्रदर्शन सिर्फ पार्टी को नुकसान पहुंचा रहा है और भाजपा को फायदा।कांग्रेस के कई दिग्गज नेता हाल ही में भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस पर जनता की राय साफ है—कांग्रेस की कमजोर स्थिति और आंतरिक कलह ने इन नेताओं को पार्टी छोड़ने पर मजबूर किया। कांग्रेस के पास अब न तो स्पष्ट दृष्टिकोण है और न ही मजबूत नेतृत्व। भाजपा के बढ़ते प्रभाव और संगठित रणनीति ने कांग्रेस नेताओं को अपनी ओर खींच लिया है। रामनगर की राजनीति में कांग्रेस की यह स्थिति कहीं पार्टी के सफाए की ओर तो इशारा नहीं कर रही? स्थानीय जनता कहती है कि विकास के मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय कांग्रेस की गुटबाजी ने पार्टी की छवि को बुरी तरह धूमिल कर दिया है। क्या खत्म होगी रावत बनाम रावत की लड़ाई? हरीश रावत और रंजीत रावत के बीच चल रही यह खींचतान क्या कभी समाप्त होगी? या यह लड़ाई कांग्रेस के पतन का कारण बनेगी? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इस लड़ाई का सीधा फायदा भाजपा को मिल रहा है। जनता का सवाल: विकास कब होगा?रामनगर की जनता विकास की उम्मीद लगाए बैठी है। सड़क, पानी, बिजली और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दे पीछे छूट चुके हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या कांग्रेस नेताओं को उनकी जरूरतें दिखाई नहीं देतीं? रामनगर की जनता अब ऐसी पार्टी चाहती है जो उनके मुद्दों पर ध्यान दे, न कि आंतरिक कलह और शक्ति प्रदर्शन पर। अगर कांग्रेस अपनी गुटबाजी को खत्म नहीं करती, तो आने वाले चुनावों में पार्टी का सफाया तय है।