Monday, April 21, 2025
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Homeउत्तराखंड"रामनगर बना जामनगर – हर चौराहा बना जंजाल, जिम्मेदार कौन?"

“रामनगर बना जामनगर – हर चौराहा बना जंजाल, जिम्मेदार कौन?”

“जंगल सफारी के लिए मशहूर शहर, अब ट्रैफिक सफारी के लिए बदनाम!”

रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान

रामनगर। कभी शांतिपूर्ण और हरे-भरे जंगलों की पनाह में बसा रामनगर अब ट्रैफिक के जाल में उलझ चुका है। चाहे बाइक हो या कार, ऑटो हो या ट्रक – हर गाड़ी यहां रेंगने को मजबूर है। सुबह हो या शाम, हर सड़क पर जाम का नज़ारा आम हो गया है। शहर के कई मुख्य चौराहे और बाज़ार इलाके घंटों तक थमे रहते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि न तो कोई ट्रैफिक प्लानिंग है, न कोई सख्ती। सड़कों पर बेतरतीब पार्किंग, नियम तोड़ते वाहन और सिग्नल व्यवस्था की कमी हालात को और बिगाड़ रही है। कभी टूरिज़्म का ताज और जंगल सफारी की शान कहलाने वाला रामनगर अब ट्रैफिक के ताने-बाने में उलझता जा रहा है। सुबह की ताज़ी हवा हो या शाम की ठंडी बयार – अब लोगों को सबसे ज़्यादा डर सिर्फ एक चीज़ का है: जाम का! शहर की मुख्य सड़कें, जैसे रोडवेज़ चौराहा, भवानीगंज, बस स्टेशन इलाका और रेलवे रोड के आस-पास का हिस्सा मानो वाहनों का मेला बन चुके हैं। यहां गाड़ियों की कतारें इतनी लंबी होती हैं कि लोग एक किलोमीटर का फासला तय करने में आधा घंटा लगा देते हैं। बाइक सवार सिर झुकाए, कार वाले खिड़की से झांकते, और पैदल चलने वाले किनारे से रेंगते नज़र आते हैं। नज़ारा कुछ ऐसा होता है जैसे पूरा शहर ‘स्टैंड स्टिल’ मोड पर चला गया हो। स्थानीय लोग कहते हैं कि ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी दिखती तो है, मगर व्यवस्था नदारद है।शहर में न सिग्नल सिस्टम है, न ही कोई ट्रैफिक प्लान। अगर कभी कोई इमरजेंसी हो , तो हालात और भी बदतर हो जाते हैं। आम आदमी को राहत कब मिलेगी, ये सवाल अब हर गली के नुक्कड़ पर गूंजने लगा है। यातायात विभाग और नगर प्रशासन के लिए ये समय है चेत जाने का। क्योंकि अगर अब भी ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में रामनगर की पहचान सिर्फ जंगलों और सफारी तक सीमित नहीं रहेगी – बल्कि “जाम नगर” के तौर पर उभर सकती है।

Rafi Khan
Rafi Khan
Editor-in-chief
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