रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी के भीतर गुटबाजी चरम पर है। पार्टी ने रामनगर चेयरमैन सीट को “ओपन टू ऑल” घोषित करने के बाद दो कद्दावर नेताओं के बीच मुकाबला दिलचस्प हो गया है। पूर्व चेयरमैन हाजी अकरम और पार्टी के वरिष्ठ नेता भुवन पांडे दोनों ही इस बार मैदान में हैं, जिससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों में विभाजन साफ नजर आ रहा है। हाजी अकरम का रामनगर की राजनीति में लंबा इतिहास है। वे पहले भी चेयरमैन का पद संभाल चुके हैं और उनके समर्थकों का दावा है कि उन्होंने विकास कार्यों के जरिए शहर में स्थायी छाप छोड़ी है। उनकी मजबूत पकड़ मुस्लिम समुदाय और व्यापारिक वर्ग में है। जो उन्हें इस चुनाव में मजबूती प्रदान कर रही है। दूसरी ओर, भुवन पांडे युवा और ऊर्जावान नेता हैं, जो इस बार मजबूत इरादों के साथ मैदान में उतरे हैं। भुवन पांडे का दावा है कि वे पार्टी के सच्चे सेवक हैं और जनता के हर वर्ग के साथ खड़े रहे हैं। उनका कहना है कि वे पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ शहर के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। पांडे के समर्थकों का कहना है कि इस बार युवाओं और नए विचारों को मौका मिलना चाहिए। कांग्रेस पार्टी का रामनगर में गुटों में बंटना पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। “ओपन टू ऑल” का फैसला कई सवाल खड़े कर रहा है। क्या पार्टी नेतृत्व दोनों प्रत्याशियों को एक मंच पर लाने में सफल हो पाएगा? क्या कांग्रेस के मतदाता विभाजित होकर अन्य पार्टियों को मौका देंगे? रामनगर के मतदाताओं में मुस्लिम, ब्राह्मण, व्यापारी वर्ग और युवा बड़ी भूमिका निभाएंगे। हाजी अकरम जहां अपने पुराने समर्थकों पर भरोसा कर रहे हैं, वहीं भुवन पांडे नए चेहरों को जोड़ने में जुटे हैं। स्थानीय जनता इस मुकाबले को बेहद दिलचस्प मान रही है। कई स्थानीय नागरिको का कहना है कि हाजी अकरम ने अपने कार्यकाल में काफी काम किया है, लेकिन भुवन पांडे जैसे युवा नेता को भी मौका मिलना चाहिए। दोनों के बीच कांटे की टक्कर है।” रामनगर निकाय चुनाव में कांग्रेस के दोनों नेताओं की टक्कर केवल एक सीट के लिए नहीं है, बल्कि यह पार्टी के स्थानीय संगठन की दिशा तय करेगी। अगर यह गुटबाजी जारी रही, तो कांग्रेस को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। क्या कांग्रेस अपने भीतर की लड़ाई को सुलझा पाएगी? या फिर रामनगर की चेयरमैन सीट किसी और के हाथ में जाएगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।