रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। नगर निकाय चुनाव में चेयरमैन पद के लिए मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। तीन प्रमुख प्रत्याशी—हाजी मोहम्मद अकरम, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार, और पहली बार राजनीति में कदम रखने वाले भुवन चंद्र पांडे—चुनावी मैदान में हैं। हर प्रत्याशी अपने-अपने स्तर पर जनता को आकर्षित करने की कोशिश में जुटा है।मुस्लिम समुदाय का विश्वासपात्र हाजी मोहम्मद अकरम, जिनका मुस्लिम समुदाय पर मजबूत प्रभाव है, चेयरमैन पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। उन्होंने अपने प्रचार में सामुदायिक मुद्दों को केंद्र में रखा है। स्थानीय मुस्लिम वोटरों में हाजी अकरम की लोकप्रियता अन्य उम्मीदवारों के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। बीजेपी के प्रत्याशी ने अपने विकास के एजेंडे को जनता के सामने रखा है। हालांकि, उन्हें अपनी ही पार्टी के अंदर से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी का वोट बैंक बिखरने की संभावना और अन्य प्रत्याशियों की मौजूदगी उनके लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। भुवन चंद्र पांडे, जो पहली बार राजनीति में कदम रख रहे हैं, ने अपने सरल और जमीनी प्रचार के जरिए जनता का ध्यान आकर्षित किया है। हालांकि, उनकी अनुभवहीनता और अपेक्षाकृत नई पहचान उनकी चुनावी यात्रा को कठिन बना सकती है। विश्लेषकों के अनुसार, हाजी अकरम और बीजेपी के उम्मीदवार के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है। वहीं, भुवन चंद्र पांडे कुछ क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा सकते हैं, लेकिन उनका चुनावी सफर उनके प्रचार की पकड़ पर निर्भर करेगा। रामनगर के वोटर्स के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। एक ओर हाजी अकरम समुदाय और सेवा की बात कर रहे हैं, तो दूसरी ओर बीजेपी के उम्मीदवार विकास और स्थिरता के मुद्दों पर जोर दे रहे हैं। वहीं, भुवन चंद्र पांडे युवा और नई सोच का प्रतिनिधित्व करने का दावा कर रहे हैं। नगर निकाय चुनाव में चेयरमैन पद के लिए त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। हाजी अकरम की सामुदायिक पकड़, बीजेपी की सांगठनिक शक्ति और भुवन चंद्र पांडे की नई सोच, सभी मिलकर रामनगर के राजनीतिक भविष्य को आकार देने वाले हैं।