रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। में नगर निकाय चुनाव का तापमान बढ़ चुका है। कॉन्ग्रेस, जो वर्षों से चेयरमैन की सीट पर काबिज़ है, इस बार अंदरूनी कलह और बगावत से जूझ रही है। पार्टी की रणनीति ‘ओपन नगर निकाय चुनाव’ ने अपने ही खेमे में विवाद खड़ा कर दिया है। पार्टी के दो गुटों ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, जबकि कई अन्य पार्टी कार्यकर्ता निर्दलीय चुनाव लड़ने को तैयार हैं। कॉन्ग्रेस के इस आंतरिक संघर्ष ने पार्टी की स्थिति को कमजोर करने के संकेत दिए हैं। वर्षों से मजबूत पकड़ रखने वाली कॉन्ग्रेस के लिए यह चुनाव एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। क्या कॉन्ग्रेस इस बार भी अपनी परंपरागत जीत को दोहरा पाएगी, या फिर चेयरमैन की सीट हाथ से निकल जाएगी? इसी बीच, बीजेपी खेमे में भी असंतोष की लहर है। पार्टी द्वारा टिकट वितरण के बाद कई प्रत्याशी बगावत पर उतर आए हैं और निर्दलीय मैदान में उतरने का निर्णय ले चुके हैं। इससे पार्टी के भीतर गुटबाजी का माहौल साफ नजर आ रहा है। इस बार रामनगर का चुनावी समीकरण बेहद दिलचस्प हो चुका है। कॉन्ग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के लिए यह चुनाव एक बड़ी परीक्षा बन चुका है। निर्दलीय प्रत्याशियों की बढ़ती संख्या ने चुनाव को और भी रोमांचक बना दिया है। राजनीतिज्ञों का मानना है कि इस बार का चुनाव न सिर्फ रामनगर की राजनीति का भविष्य तय करेगा, बल्कि स्थानीय जनता की प्राथमिकताओं को भी उजागर करेगा। दोनों पार्टियों के लिए यह चुनाव जहां प्रतिष्ठा का सवाल है, वहीं निर्दलीयों के लिए यह बड़ा मौका साबित हो सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे अपना समर्थन देती है। रामनगर की जनता का फैसला ही तय करेगा कि चेयरमैन की कुर्सी पर इस बार कौन बैठेगा। निगाहें अब मतदान पर टिकी हैं, जहां हर वोट रामनगर की राजनीति को नया मोड़ दे सकता है।