रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक, कल रात यानी 14 शाबान की रात को मुस्लिम समुदाय शब-ए-बरात की इबादत करेगा। इसे गुनाहों की माफी और रहमत की रात माना जाता है। वहीं, 15 शाबान के दिन कई लोग रोज़ा भी रखते हैं, जिसे बेहद फज़ीलत वाला माना जाता है। शब-ए-बरात को इस्लाम में इबादत, तौबा और मगफिरत (गुनाहों की माफी) की रात माना जाता है। इस रात को मुसलमान पूरी रात जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं, नफ्ल नमाज़ पढ़ते हैं, कुरआन की तिलावत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। साथ ही, गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने की भी खास अहमियत बताई गई है। 15 शाबान को रखा जाता है रोज़ा शब-ए-बरात के अगले दिन यानी 15 शाबान को कई मुसलमान रोज़ा रखते हैं। इस दिन के रोज़े को नफ्ल (ऐच्छिक) रोज़ा कहा जाता है, जो इस्लाम में बेहद सवाब (पुण्य) वाला माना जाता है। इस्लामी मान्यता के अनुसार, शब-ए-बरात की रात को मरहूम (मृत) लोगों की मगफिरत के लिए दुआ करने की भी परंपरा है। इसी वजह से लोग अपने प्रियजनों की कब्रों पर जाकर फातिहा पढ़ते हैं और उनके लिए दुआएं करते हैं। इस्लामी विद्वानों के अनुसार, यह रात इबादत, तौबा और खुदा से अपनी गलतियों की माफी मांगने का बेहतरीन मौका होता है। इस मौके पर लोगों को बुरी आदतों को छोड़ने और नेक रास्ते पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। शब-ए-बरात के मौके पर मस्जिदों और कब्रिस्तानों के आसपास प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखने के निर्देश दिए हैं। लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की गई है।