रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। निकाय चुनावों की तारीख जैसे-जैसे नज़दीक आ रही है, चेयरमैन की कुर्सी पर कब्जा जमाने की होड़ तेज़ होती जा रही है। हर गुट अपने प्रत्याशी को सबसे बेहतर साबित करने में जुटा है। कोई अपने विकास कार्यों का हवाला दे रहा है तो कोई जनता से पुराने वादों को याद दिलाकर समर्थन मांग रहा है। इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है। एक तरफ मौजूदा चेयरमैन अपनी उपलब्धियों के बल पर मैदान में हैं, दूसरी तरफ विपक्ष अपनी दमदार रणनीतियों के साथ दावा ठोक रहा है। वहीं, तीसरे विकल्प के रूप में निर्दलीय उम्मीदवार भी पूरी तैयारी में हैं, जो जनता को नई उम्मीदें और विकास के वादे दे रहे हैं। हालांकि, चुनावी रैलियों और सभाओं में बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन असली खेल जनता के हाथ में है। मतदाता किसे अपना चेयरमैन चुनते हैं, इसका जवाब चुनाव परिणाम आने के बाद ही मिलेगा। चुनावी माहौल में दोनों ही प्रमुख दलों के समर्थक अपने-अपने प्रत्याशी को एकतरफा जीत का हकदार बता रहे हैं। एक खेमे का दावा है कि इस बार उनकी जीत पक्की है, तो दूसरा खेमा अपने प्रत्याशी को जनता का असली सेवक बताते हुए बढ़त का दावा कर रहा है। इस चुनाव में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी भी अहम भूमिका निभा सकती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और साफ-सफाई जैसे मुद्दे जनता के बीच चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। आखिर में, यह देखना दिलचस्प होगा कि बंगला, कमल, या हवाई जहाज या फिर निर्दलीय में से कौन जनता के दिलों में जगह बना पाता है। जनता का फैसला ही तय करेगा कि विकास का वादा करने वाले दावों में कितना दम है। अब सबकी नजरें उस तारीख पर हैं, जब वोटिंग मशीनें खुलेंगी और जनता का जनादेश सबके सामने आएगा। फिलहाल, चुनावी जंग रोचक मोड़ पर है और हर गुट अपनी जीत का परचम लहराने के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है।