रिपोर्टर मोहम्मद कैफ खान
रामनगर। वर्षों से जंगलों में जीवन बिता रहे तुमड़िया खत्ता के निवासियों ने अब अपनी पहचान और अधिकार की लड़ाई को नई दिशा दे दी है। वन अधिकार कानून 2006 के तहत राजस्व ग्राम का दर्जा पाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए, ग्रामीणों की एक महत्त्वपूर्ण बैठक शनिवार को गांव में संपन्न हुई, जिसमें 15 सदस्यीय ग्राम वन समिति का गठन किया गया। इस बैठक में समाज कल्याण विभाग के सहायक अधिकारी इंद्रजीत गौतम की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से शंकर दत्त फुलारा को समिति का अध्यक्ष और महेंद्र सिंह को सचिव चुना। इसके अलावा दीपा देवी, अनीता देवी, गंगा, नूरजहां, जुलेखां, आमना, हुसन बानो, नवीन चंद्र, हुसनबीवी, खुशाल सिंह, मोहम्मद सफी, आनंद सिंह और लक्ष्मण सिंह को सदस्य नामित किया गया। बैठक में किसान संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती ने स्पष्ट किया कि वन अधिकार कानून उन परिवारों को ज़मीन पर हक़ देने का प्रावधान करता है, जो तीन पीढ़ियों से वन क्षेत्र में निवास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में लेटी बिंदुखत्ता, रामपुर, चोपड़ा जैसे गांवों को इसी कानून के तहत राजस्व ग्राम का दर्जा मिला है। वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष तरुण जोशी ने कहा कि राज्य में लाखों परिवार वन भूमि पर वर्षों से रह रहे हैं, मगर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और वोट बैंक की राजनीति के कारण उन्हें उनके वाजिब अधिकारों से दूर रखा गया है।समाजवादी लोकमंच के जमन राम ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा कि वन ग्रामों के लोग सांसद और विधायक तो चुनते हैं, लेकिन उन्हें ग्राम पंचायत की राजनीति से दूर रखा गया है — न वे ग्राम प्रधान चुन सकते हैं, न खुद चुनाव लड़ सकते हैं। नई बनी समिति के सचिव महेंद्र सिंह ने प्रशासन का आभार जताते हुए उम्मीद जताई कि सरकार अब गंभीरता से इस दिशा में आगे बढ़ेगी और तुमड़िया खत्ता को भी राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाएगी। इस बैठक में बीडी नैनवाल, अली जान उर्फ यामीन, गुलाम रसूल, मोहम्मद फरीद, नियामत अली, मुस्तफा, शेखर अधिकारी, मोहम्मद बशीर, तारा राम, मोहम्मद नजाकत, शमसेद, लीलाधर, जमीला, इरशाद, नसीम अली, रवि, अशरफ अली और सलीम अली सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया।