प्रशासन मौन, कार्रवाई ठप, महिलाओं में गुस्सा चरम पर
रिपोर्टर – मोहम्मद कैफ खान
रामनगर (पाटकोट)। पाटकोट की धरती इन दिनों सिर्फ नारों से नहीं, जज़्बे से भी गूंज रही है। शराब की दुकान के विरोध में शुरू हुआ महिला आंदोलन अब जनज्वार बन चुका है। 16 दिनों से महिलाएं डटी हुई हैं, और अब यह लड़ाई सिर्फ दुकान के खिलाफ नहीं, बल्कि व्यवस्था की चुप्पी के खिलाफ बन गई है। धरना दे रही महिलाओं का कहना है कि वे तब तक नहीं हटेंगी जब तक शराब की दुकान पाटकोट रोड से पूरी तरह हटा नहीं दी जाती। उनका आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी जानबूझकर मामले को अनदेखा कर रहे हैं, जिससे गांव में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। गांव की महिलाओं ने आंखों में आँसू और आवाज़ में गुस्से के साथ कहा—”हमारे बच्चे शराब के साए में कैसे पले-बढ़ें? क्या यही विकास है?” उन्होंने दो टूक कहा कि यदि यह दुकान यहां खुली, तो महिलाएं धरना स्थल से सीधे देहरादून तक कूच करेंगी ।पत्रकारिता धर्म निभाते हुए, इस मामले में ठेकेदार का पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ग्राम पाटकोट की यह लड़ाई अब सिर्फ एक दुकान की नहीं, बल्कि जन-इच्छा बनाम सरकारी चुप्पी की लड़ाई बन गई है।
सवाल यही है—क्या सरकार और प्रशासन अब भी जागेगा, या महिलाओं की आवाज़ सड़क पर अनसुनी ही रह जाएगी?